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शनिवार, 6 अक्तूबर 2007

अशोक वाजपेयी की एक कविता

जितना मैं सड़क के बीहड़पन
बत्तियों के ऊपर के अँधेरे
पेड़ के झुकाव और बादल के रंग को
स्वीकार कर लेता हूँ-
उतना, सिर्फ उतना तुम्हे अपना प्यार देता हूँ।
-अशोक वाजपेयी

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