Google

शनिवार, 10 नवंबर 2007

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ीटेढ़े-मेढे़ रास्तों पर कभी-कभार इतनी सीधी सी पगडंडियां मिलती हैं कि लगने लगता है जैसे इनपर मुड़कर सुकून के दो पल मिल सकते हैं। हम मुड़ जाते हैं और पाते हैं सामुद्रिक विस्तार और उसके साथ जुड़ी वे तमाम बेचैनियां और हिचकोलों के बीच डगमगा रहे जहाज की डेक जैसा आधार। और फिर जब फिर से मुख्य रास्ते पर आते हैं तो समय लगता इस बात को लेकर आश्वस्त होने में कि पैरों के नीचे पानी का अथार विस्तार नहीं ठोस जमीन है।
फरवरी का महीना था सन 2007 का।
चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ीPromote Your Blog
Powered by WebRing.
Powered by WebRing.