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गुरुवार, 15 नवंबर 2007

त्रिलोचन का अपमान मत करो यारों





सारथी पर पोस्ट की गई अपील
हिंदी की कविता उनकी, जिनकी सांसों को आराम नहीं…… नब्बे वर्षीय त्रिलोचन बीमार हैं और गाजियाबाद के वैशाली सेक्टर 3 के 667 नंबर मकान में अपने पुत्र अमित प्रकाश के साथ रह रहे हैं। अमित प्रकाश उनके बेटे हैं। जो फिलहाल अकेले उनकी देखभाल कर रहे हैं। जन संस्कृति मंच साहित्य जगत से अपील करता है कि आप लोग आगे बढ़कर हिंदी के धरोहर त्रिलोचन की मदद करें ….आप इस ईमेल पते पर संपर्क कर सकते हैं - akhbariamit@yahoo.co.in


त्रिलोचन जी ने एक बार जब जनसंस्कृति मंच के अध्यक्ष बने थे, उस समय एक बातचीत को दौरान बाबा ने मुझसे कहा था, भाईसाहब मैं अपने साथ हमेशा इतने पैसे लेकर चलता हूं कि यदि कभी मौत आ जाए तो मेरी अंत्येष्टि के लिए किसी को हाथ फैलाने की जरूरत न पड़े। आज मुझे यह अपील पढ़कर उनकी कही बात याद आ गई और बहुत दुख हुआ कि जनसंस्कृति मंच के साथी अपील करके हाथ फैला रहे हैं और अमित जी उनकी देखभाल कर पाने में समर्थ नहीं हैं। मेरी इस बात का अर्थ यह न निकाला जाए कि त्रिलोचन सिर्फ उनके हैं और तमाम लोगों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। लेकिन मेरे दिमाग में सवाल यह उठ रहा है कि कितने पैसों की जरूरत उनके इलाज के लिए होगी (10 लाख, 50 लाख, एक करोड़) और क्या यह पैसा जनसंस्कृति मंच के सदस्यगण, बाबा को अपनी बपौती समझने वालों के थोड़े-थोड़े कंट्रीब्यूशन से पूरा नहीं हो सकता क्या। पता नहीं अपने को प्रगतिवादी मानने वाले लोगों को दयनीय बनने में प्रगति का कौन सा सोपान मिलता है।
मुझे तो लगता है कि दयनीयता की यह अपील त्रिलोचन के प्रति आस्था व सम्मान का प्रतीक नहीं बल्कि उनका अपमान है।

हमका बहुत खुसी भई कि अवधी ब्वालै वाले लोग हियां हैं।

हमका बहुत खुसी भई कि अवधी ब्वालै वाले लोग हियां हैं। हम तुम सब ल्वागन कैंहां कहित हैं कि आओ एक बहुतै बढ़िया अवधी क्यार ब्लाग बनावा जाय। कोई ऐइस शुरुआति करी जाइ कि मजा आइ जाइ। जौन लोग अवधी बंदना पर टीका करिन, वै तो अइबै करैं, जौन लोग बिना टीका किहे हियां सेने गुजरत हैं, उनसेउ हमारि बिनती है कि कुछ अपनी भाखउ मैंह्यां लिखौ।

सुख कौने बिरवा मा लागत है

आजु लै यहु नाइ जानि पायेन कि हिंयां सुखु कौने बिरवा में लागत है, आराम कौने पेड़ मा उपजति है। जब कबहूं काम करति करति थक गयेन औ थकान मा नींद आइ गइ। भूंख लागि तौ कुछ खाय लिहेन, इंद्री शांत ह्वैगै। भोरहरे फिर वहै शुरू। थ्वार बहुत टेम मिला तौ अपने लैपटाप पर बइठ गयेन और जौन कुछ मन मा आवा लिख डारेन।
तौ हम बतुवाय रहेन रहय कि हमका नाइ पता कि सुखु कौने बिरवा मां लागत है। सुखु हम की का कही। रुपिया-पइसा होइ तव का सुख मिल जाति है। हम तौ नाइ मानित ई बात कैंह्यां। हमार सुखु के बिरवा तो हमरे गावैं मैह्यां छूटि गये। औ अब जहां रहित है हुआं दुखु केर जंगल आंय। दूरि-दूरि सुखु के बिरवा नाय देखात हैं। हमार मन अपने गांव गोआर मैंहैय बसति है। सुखु केर बिरवव हुंअंय हैं। द्याखव कब तक लिलार हमका हिया हुंआ टहिलावत है।

एचपीसीएल छलांगा, यूको दौड़ा, एचएफसीएल चीते की तरह ताकत बटोर रहा है

एचपीसीएल 260 से 300 पर आ गया आज। निकल भागिए इससे और मुनाफा अंटी में करिए। घुसिए एमआरपीएल में 126 पर और शाम तक निकल लीजिए 135 पर।

यूको बैंक यदि अब तक नहीं लिया है तो ले डालिए। 80 से 100 तक जाएगा जनवरी तक।

एचएफसीएल भी रेस की तैयारी में है। 27 के ऊपर पहुंच चुका है। अबकी दौड़ना शुरू हुआ तो 45-50 पर ही रुकेगा।

नोट- निवेश करने से पहले खुद पोढ़े हो लें। अपन की जिम्मेदारी नहीं है।
चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ीPromote Your Blog
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