सारथी पर पोस्ट की गई अपील में यह भी कहा गया है कि ...अपने पुत्र अमित प्रकाश के साथ रह रहे हैं। अमित प्रकाश उनके बेटे हैं। जो फिलहाल अकेले उनकी देखभाल कर रहे हैं। अमित जी फिलहाल अकेले उनकी देखभाल कर रहे हैं। इसका क्या मतलब है? अमितजी के पिता हैं वह और उनको अपने पिता की देखभाल करनी ही चाहिए। इसमें कौन सा महान काम कर रहे हैं वह? हां यदि वह उनके बेटे न होते और फिर भी अकेले देखभाल कर रहे होते, तो जरूर उल्लेखनीय बात थी। क्या हम आप जब अपने बीमार माता-पिता की देखभाल करते हैं तो क्या उसका ढिंढोरा हमें पीटना चाहिए। अमित जी भी प्रतिष्ठित पत्रकार हैं और इतने गए गुजरे नहीं है कि अपने पिता की देखभाल के लिए उन्हें दया की अपील करनी पड़े। यह सब अमितजी का भी अपमान है।
एक बात और...
शायद किसी को नागवार गुजरे लेकिन क्या रायल्टी की राशि के लिए भी इसी तरह की अपील की जाएगी? (मुझे नहीं पता कि बाबा की कृतियों पर रायल्टी कितनी मिलती है और किसको मिलती हैं या मिलती भी है या नहीं)
3 टिप्पणियां:
आपने बहुत सही तरह से तर्क-दोष को पकड़ा है। मुझे भी यह अपील निरर्थक लगी थी।
त्रिलोचन जी की समस्त रोयल्टी की राशि पान्च सौ रुपया सालाना है। अनुनाद सिन्ह जी, हिन्दी भाषा के महान लेखको की आर्थिक दशा को क्रिपया जानिये। आपका वक्तव्य किसी क्रूर असान्स्क्रितिक रईस का वक्तव्य लगता है।
बेनामी जी,
राजकमल जैसे प्रकाशन बाबा जैसे लोगों को बेचकर करोड़ों कमा रहे हैं, इस शोषण के खिलाफ जनवादी कब लड़ाई लड़ेंगे। अपने शोषण के खिलाफ भी खड़े हुआ जाए। सिर्फ जनता को गरियाते रहने से काम नहीं चलने वाला।
आखिर क्यों इस शोषण के खिलाफ क्रांतिधर्मी जनवादी लिबरेशन कुछ नहीं बोल रहा.
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