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शनिवार, 17 नवंबर 2007

तुम चलोगे तो ये सब खुश हो जाएंगे

2 टिप्‍पणियां:

मीनाक्षी ने कहा…

प्यारी यादों से भरी गाँव की भोली सी कविता !!!!
बहुत पहले पंजाब और हरयाणा के गाँव जाने का मौका मिला था और मिट्टी के बरतन बनाकर चूल्हे पर चढाना भाया था...
अब यादें हैं ...शायद कभी इच्छा पूरी हो !

खुश ने कहा…

धन्यवाद मीनाक्षी जी, आपकी टिप्पणी के लिए।

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