ह्यूमन रिसोर्स एंड स्टाफिंग एजंसी टीमलीज सविर्सेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि 90 फीसदी भारतीय युवा रोजगार के लायक नहीं हैं। इसकी इंडिया लेवर रिपोर्ट-2007 में कहा गया है कि भारत में 90 फीसदी जाब्स स्किल बेस्ड हैं जो खेती, मत्स्य पालन, निर्माण आदि क्षेत्रों में निकलते हैं। ग्रेजुएट होने वाले 90 फीसदी युवाओं की जानकारी सिर्फ किताबी होती है और इसीलिए उनकी रोजगारयोग्यता नहीं होती। नतीजा यह होता है कि ये लोग घटिया जाब्स में जाते हैं और वह बहुत कम सेलरी पर। भारत में सामान्य ग्रेजुएट की सालाना औसत सेलरी 75000 रुपए है। जानकारों का कहना है कि यही वजह है भारत की प्रति व्यक्ति आय निचले स्तर होने का जबकि विकास दर ऊंची है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह हाल रहा तो भले ही भारत दुनिया के अमीर देशों को पीछे छोड़ दे लेकिन यहां का आम जीवन स्तर कभी भी अमेरिका या यूरोप जैसा नहीं हो सकता है।
रिपोर्ट का कहना है कि यदि भारत यदि इस स्थिति को रिपेयर करना चाहे तो अगले दो साल में 4,90,000 करोड़ रुपए की जरूरत होगी यानी जीडीपी का 10 फीसदी। अभी इसका सिर्फ 25 फीसदी ही फंड इसके लिए दिया जा रहा है। नतीजा यह है कि ये पैसे भी कुएं में जा रहे हैं।
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