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बुधवार, 14 नवंबर 2007

मेरे यारों

ब्लागवाणी पर पाश की कविता का जिक्र देखा। पाश मेरे भी पसंदीदा कवि रहे हैं और मैने कैंपस दिनों में उनकी कविताओं के 1000 पोस्टर तो बनाए ही होंगे। एक कविता मैं यहां दे रहा हूं-

मेरे यारों, हमारे वक्त का इतिहास
बस इतना ही न रह जाए
कि हम धीरे-धीरे मरने को ही
जीना समझ बैठे थे.

2 टिप्‍पणियां:

bharat bhushan ने कहा…

complete poetry of paash in hindi is available at my blog http://paash.wordpress.com

bharat bhushan ने कहा…

agar aap ke paas un dino ka koi poster ho to mujhe bhej sakenge ? i have set up a blog exclusively on Paash and you can read his complete poetry in Hindi, English and Punjabi and much more about his life and times at http://paash.wordpress.com

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