दिखती नहीं हो
दिखती नहीं हो
मै भीगता रहता हूं
तुम ओस की तरह गिरती रहती हो
दिखती नहीं हो
मैं तिरता रहता हूं
तुम हवा की तरह बहती रहती हो
दिखती नहीं हो
मैं महक उठता हूं
तुम खुशबू की तरह फैली रहती हो
दिखती नहीं हो
मैं जब उदास होता हूं
तुम आकाश की तरह
आकर
छाकर
ढंक लेती हो मुझे
दिखती नहीं हो!!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें