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शुक्रवार, 23 नवंबर 2007

नंदीग्राम का सच - कम्युनिस्ट बनाम कम्युनिस्ट

नक्सलबाड़ी आंदोलन के संस्थापक सदस्य कानू सान्याल ने एक टीवी इंटरव्यू में जो कहा, उससे यह बात साफ हो गई है कि नंदीग्राम एपीसोड में नक्सली लोगों का पूरा योगदान है। सान्याल ने कहा कि नक्सलबाड़ी में तो सिर्फ तीन महीने तक आंदोलन चला था, नंदीग्राम तो 11 महीने से चल रहा है और इसका प्रभाव नक्सलबाड़ी आंदोलन से ज्यादा होगा। मैने व मुझ जैसे अन्य नेताओं ने वहां बीज बो दिए हैं। प्रसिद्ध नक्सली कवि वरबर राव भी वहां से होकर आए हैं।

यानी ममता बनर्जी जबरदस्ती कूद रही हैं। लड़ाई तो कम्युनिस्ट बनाम कम्युनिस्ट चल रही है। कानू ने तो स्पष्ट कर दिया कि सत्ता के खिलाफ हथियार उठाना ही पड़ेगा। वरबर राव ने तो यहां तक कहा कि जहां-जहां देश में सेज के खिलाफ किसान खड़े होंगे, वहीं नंदीग्राम बना दिया जाएगा। माकपा ब्रांड कम्युनिस्ट मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्या ने कहा भी था कि माओवादियों का एक ग्रुप ट्रेनिंग ले रहा है। यह ट्रेनिंग झारखंड के रंजीत पाल के नेतृत्व में चल रही है। अब क्या बचा कहने को।

2 टिप्‍पणियां:

darshan ने कहा…

लड़ाई वामपंथियों मी टू है पर मुद्दा पॉवर है,किसान या भूमि या सेज नही.
-दर्शन

बेनामी ने कहा…

आपने एकदम सही कहा है ये तो होना ही है क्योंकि और किसके बूते की बात है कि वो गरीब लोगों को उनके हक दिलाए। आज की राजनीति में इस आंदोलन की प्रासंगिकता बढ़ा दी है और कुछ बदलाव संभव है तो अब ऐसे ही लोगों से । लेकिन कानू सान्याल या उनके ग्रुप की ताकत तो अब कुछ बची नहीं है हां सीपीआई माओइस्ट ही इसका नेतृत्व करे

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ीPromote Your Blog
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