हमारे खेत की सोंधी खुशबू
तुम्हारे होने का सोंधी खुशबू
पछुआ के साथ जब मेरे गांव पहुंचती है
सरसों की पीली उजास
तुम्हारे होने की आस
पछुआ के साथ जब मेरे गांव पहुंचती है
जंगल की शाम
बिरहा की तान
पछुआ के साथ जब मेरे गांव पहुंचती है
ऐसा सबकुछ जो कहा गया और वह भी जो कहने से रहता गया
3 टिप्पणियां:
खुश जी,
पछुआ, उजास - इन दो शब्दों के अर्थ बताएँ तो कविता को फिर से पढ़ कर आनंद लूँ।
आलोक
पछुआ - पश्चिम से बहने वाली हवा
उजास - उजाला
धन्यवाद खुश जी।
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