दुनिया की हर शै अलविदा कहेगी
दोपहर, सूर्य जीवन, सब खत्म होगा
बुरे लोग तो होंगे ही, वे मिटेंगे नहीं
पर, तुम होगी
सिर्फ तुम
मेरी जीवन
हमेशा मेरे साथ
कभी जुदा नहीं हो
-अल्बर्टो बाल्दिया
(पाब्लो नेरुदा अल्बर्टो को लाश कहकर चिढ़ाते थे)
मंगलवार, 4 दिसंबर 2007
धूमिल की कविता के अंश
हर तरफ धुआं है
हर तरफ कुहासा है
जो दांतों और दलदलों का दलाल है
वही देशभक्त है
अंधकार में सुरक्षित होने का नाम है-
तटस्थता। यहां
कायरता के चेहरे पर
सबसे ज्यादा रक्त है।
जिसके पास थाली है
हर भूखा आदमी
उसके लिए, सबसे भद्दी
गाली है
हर तरफ कुआं है
हर तरफ खाईं है
यहां, सिर्फ, वह आदमी, देश के करीब है
जो या तो मूर्ख है
या फिर गरीब है
हर तरफ कुहासा है
जो दांतों और दलदलों का दलाल है
वही देशभक्त है
अंधकार में सुरक्षित होने का नाम है-
तटस्थता। यहां
कायरता के चेहरे पर
सबसे ज्यादा रक्त है।
जिसके पास थाली है
हर भूखा आदमी
उसके लिए, सबसे भद्दी
गाली है
हर तरफ कुआं है
हर तरफ खाईं है
यहां, सिर्फ, वह आदमी, देश के करीब है
जो या तो मूर्ख है
या फिर गरीब है
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